सावधान रहें! जब वायरस से लड़ता है शरीर तब स्वस्थ्य कोशिकाओं को भी पहुंचता है नुकसान
सेहतराग टीम
कोरोना वायरस जब शरीर में घुसता है और वो अपना दायरा बढ़ाने की हर संभव कोशिश करता है। वहीं, इम्यूनिटी उसे खत्म करने के लिए तेजी से हमला करती है इस प्रक्रिया में साइटोकाइन स्टॉर्म यानी इम्यून सिस्टम अधिक सक्रिय हो जाता है। जिससे पैथोजन के साथ शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान होता है जिससे स्थिति बिगड़ जाती है।
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ब्रिटेन की डॉक्टर सारा जार्विस बताती हैं कि वायरस का प्रसार जिस तरह से बढ़ रहा है। उसके अनुसार आप अधिक सतर्क रहना होगा खासतौर पर बीमा लोगों को क्योंकि कम्युनिटी के कारण वायरस उनकी जान मुश्किल में डाल सकता है।
वे बताती हैं कि वायरस की संख्या बढ़ने पर फेफड़ों में सूजन आने के साथ उनकी कार्य क्षमता भी प्रभावित होती है। वायरस जब शरीर में प्रवेश करता है तो इम्यून सिस्टम उससे लड़ने की कोशिश करता है। इसी प्रक्रिया में फेफड़ों के साथ शरीर में मौजूद दूसरी स्वस्थ कोशिकाएं खराब हो जाती हैं इससे व्यक्ति को निमोनिया और सांस संबंधी तकलीफ हो जाती है। गंभीर मामलों में हृदय और किडनी पर भी असर पड़ता है।
शरीर में वायरस की मात्रा कितनी
चिकित्सकों का मानना है कि वायरस शरीर में वायरल लोड कितना है और कितना भीतर गया है। इससे भी नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। वायरस नाक और मुंह से भीतर जाता है। अगर वह गले तक ही रुक जाए तो ऐसे व्यक्ति कुछ दिन के भीतर ठीक हो जाते हैं। ऐसे लोगों में आमतौर पर सूखी खांसी और बुखार की तकलीफ होती है। जिसके घर पर सामान्य इलाज से ठीक होने की संभावना है।
श्वास नलिका में पहुंचा तो खतरा बढ़ा
वायरस जब श्वास नलिका से होते हुए सांस लेने में मदद करने वाले अंगों और फेफड़ों की कोशिकाओं में पहुंचता है तो स्थिति खराब होती है। इसमें व्यक्ति को सीने में दर्द का और सांस लेने में तकलीफ होती है। क्योंकि वायरस के कारण सांस लेने में इस्तेमाल होने वाले सभी अंगों में सूजन आ जाती है। वायरस जैसे-जैसे अपनी संख्या को बढ़ाएगा उस हिसाब से परेशानी बढ़ती है ऐसे में सतर्क रहें और मास्क पहनें।
खून में ऑक्सीजन की कमी होना
वायरस से एल्वेवली भी प्रभावित होता है जिसका काम खून में ऑक्सीजन पहुंचाना होता है। इसके अलावा कार्बनडाइऑक्साइड को निकालना होता है। एल्वेवली में सूजन आती है और फ्लूड और पश से वह भर जाता है। जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। एल्वेवली में जब संक्रमण हो जाता है तो रक्त में कम मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचती है। इस कारण दूसरे अंगों को भी नुकसान होता है और कहीं अंग एक साथ बंद होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
फेफड़ों को ठीक करने लग जाता है शरीर
अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ जाफरी टाबेलबर्गर बताते हैं कि फेफड़ों को जब नुकसान पहुंचता है। शरीर तुरंत उसको ठीक करने में लग जाता है अगर यह प्रक्रिया सफल होती है तो शंकर में कुछ दिन में ठीक हो जा सकता है। कुछ मामलों में इम्यून सिस्टम अच्छा करने की बजाय गलत कर बैठता है। ऐसा होने पर वायरस फेफड़ों के भीतर पहुंच स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और वायरस का फैलाव और अधिक हो जाता है।
(खबर साभार)
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